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हनुमान जी की वजह से इस गाँव की महिलाये आज भी भुगत रही है सजा, गाँव के लोग कभी नहीं पूजते हनुमान जी को, जानिए

Sep 29 2019

Posted By:  Sunny

उत्तराखंड के जिले चमोली में एक गांव है जिसका नाम है द्रोणागिरी | अब इस नाम को पढ़कर आप थोडा असमंझस में पड़ गए होंगे क्योंकि इसी नाम का एक पर्वत भी है जिसे हनुमान जी लक्ष्मण जी की जान बचने के लिए उठा कर लाए आये थे | बताया जाता है कि यह पर्वत जिस गाँव में था उसका नाम भी द्रोणागिरी ही था और उस गाँव के लोग आज भी हनुमान जी से अप्रसन्न है |


जब हनुमान जी को संजीवनी बूटी लाने के लिए भेजा गया था तब वो द्रोणागिरी पर्वत पर पहुंचे थे लेकिन लेकिन वहां बहुत से औषधीय पेड़ पौधे उगे हुए थे जिसे देखकर हनुमान जी थोड़े परेशान हो गए क्योंकि वो संजीवनी बूटी को पहचान नहीं पा रहे थे अब ऐसी दुविधा में उन्होंने पुरे पर्वत को ही अपने साथ ले जाना उचित समझा | जब हनुमान जी द्रोणागिरी पर्वत को लेकर राम जी के पास पहुंचे तो सभी बहुत प्रसन्न हुए और लक्ष्मण जी भी जीवित हो उठे | परन्तु हनुमान जी के इस कार्य से कोई सबसे ज्यादा अप्रसन्न हुए थे तो वे थे द्रोणागिरी गाँव के लोग | हनुमान जी की इस हरकत से गाँव वाले इस कदर नाराज हुए कि आज तक उन्होंने हनुमान जी को क्षमा नहीं किया है और आज भी वो अपने गाँव में हनुमान जी की प्रतीक लाल ध्वजा नहीं लगाते है और ना ही हनुमान जी को पूजते है |




द्रोणागिरी गाँव की चली आ रही कुछ प्राचीन कथाओ के अनुसार जब हनुमान इस गाँव में द्रोणागिरी पर्वत की खोज में आये थे तब वहां बहुत सारे पर्वतो को देखकर उन्हें पता नहीं चल पाया कि द्रोणागिरी पर्वत कौनसा है ऐसे में उन्होंने वहां बैठी एक वृद्ध महिला से पर्वत के बारे में पूछा तब उस महिला ने द्रोणागिरी पर्वत की ओर अपनी ऊँगली से इशारा कर दिया | इसके बाद जब हनुमान जी उस महिला के बताये पर्वत पर पहुंचे तो संजीवनी बूटी नहीं पहचान पाए और उन्होंने पुरे पर्वत को ही अपने साथ ले जाना ठीक समझा और पलभर में वो उस पर्वत को उठाकर ले गए | लेकिन हनुमान जी की इस बात से द्रोणागिरी गाँव के लोग बहुत नाराज हुए क्योंकि वो पर्वत उनके लिए बहुत पूज्य था वह पर्वत गांववालों के लिए श्रद्धा का प्रतीक था | 


जब गांववालों को हनुमान जी द्वारा पर्वत ले जाने की बात पता चली तो वह बहुत नाराज हुए और हनुमान जी की मदद करने वाली उस वृद्ध महिला से भी गाँव वाले बहुत क्रुद्ध हुए और उस महिला को गाँव से निष्काषित कर दिया | उस महिला को सजा दी गयी थी उसकी सजा आज भी इस गाँव की महिलाये भुगत रही है |

इस गाँव में प्रत्येक वर्ष उनके आराध्य पर्वत की पूजा होती है और उस पूजा के दिन कोई भी पुरुष गाँव की महिलाओ के हाथ का बना भोजन ग्रहण नहीं करता है |

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